मन्दिर में लेवीवंशियों द्वारा सेवा की योजना
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दाऊद बुढ़ा हो गया, इसलिये उसने अपने पुत्र सुलैमान को इस्राएल का नया राजा बनाया। दाऊद ने इस्राएल के सभी प्रमुखों को इकट्ठा किया। उसने याजकों और लेवीवंशियों को भी इकट्ठा किया। दाऊद ने तीस वर्ष और उससे ऊपर की उम्र के लेवीवेंशियों को गिना। सब मिलाकर अड़तीस हजार लेवीवंशी थे। दाऊद ने कहा, “चौबीस हजार लेवीवंशी यहोवा के मन्दिर के निर्माण कार्य की देखभाल करेंग। छःहजार लेवीवंशी सिपाही और न्यायाधीश होंगे। चार हजार लेवीवंसी द्वारपाल होंगे और चार हाजर लेवीवंशी संगीतज्ञ होंगे। मैंने उनके लिये विशेष वाद्य बनाए हैं। वे उन वाद्यों का उपयोग यहोवा की स्तुति के लिये करेंगे।”
दाऊद ने लेवीवंशियों को तीन वर्गों में बाँट दिया। वे लेवी के तीन पुत्रों गर्शोन, कहात और मरारी के परिवार समूह थे।
गेर्शोन के परिवार समूह
गेर्शोन के परिवार समूह से लादान और शिमी थे। लादान के तीन पुत्र थे। उसका सबसे बड़ा पुत्र यहीएल था। उसके अन्य पुत्र जेताम और योएल थे। शिमी के पुत्र शलोमीत, हजीएल और हारान थे। ये तीनों पुत्र लादान के परिवारों के प्रमुख थे।
10 शिमी के चार पुत्र थे। वे यहत, जीना, यूश और बरीआ थे। 11 यहत सबसे बड़ा और जीजा दूसरा पुत्र था। किन्तु यूश और बरीआ के बहुत से पुत्र नहीं थे। इसलिए यूश और बरीआ एक परिवार के रूप में गिने जाते थे।
कहात का परिवार समूह
12 कहात के चार पुत्र थे। वे अम्राम, यिसहार हेब्रोन और उज्जीएल थे। 13 अम्राम के पुत्र हारून और मूसा थे। हारून अति विशेष होने के लिये चुना गया था। हारून और उसके वंशज सदा सदा के लिये विशेष होने को चुने गए थे। वे यहोवा की सेवा के लिये पवित्र चीजे बनाने के लिये चुने गए थे। हारून और उसके वंशज यहोवा के सामने सुगन्धि जलाने के लिये चुने गए थे। वे यहोवा की सेवा याजक के रूप में करने के लिये चुने गए थे। वे यहोवा के नाम का उपयोग करने और लोगों को आशीर्वाद देने के लिये सदा के लिये चुने गए थे।
14 मूसा परमेश्वर का व्यक्ति था। मूसा के पुत्र, लेवी के परिवार समूह के भाग थे। 15 मूसा के पुत्र गेर्शोम और एलीएजेर थे। 16 गेर्शोन का बड़ा पुत्र शबूएल था। 17 एलीएजेर का बड़ा पुत्र रहब्याह था। एलीएजेर के और कोई पुत्र नहीं थे। किन्तु रहब्याह के बहुत से पुत्र थे।
18 यिसहार का सबसे बड़ा पुत्र शलोमीत था।
19 हेब्रोन का सबसे बड़ा पुत्र यरीय्याह था। हेब्रोन का दूसरा पुत्र अर्मायह था। यहजीएल तीसरा पुत्र था और यकमाम चौथा पुत्र था।
20 उज्जीएल का सबसे पूत्र मीका था और यिश्शिय्याह उसका दूसरा पुत्र था।
मरारी का परिवार समूह
21 मरारी के पुत्र महली और मूशी थे। महली के पुत्र एलीआजार और कीश थे। 22 एलीआजर बिना पुत्रों के मरा। उसकी केवल पुत्रियाँ थीं। एलीआजर की पुत्रियों ने अपने सम्बन्धियों से विवाह किया उनके सम्बन्धी कीश के पुत्र थे। 23 मूशी के पुत्र महली, एदेर और यरेमोत सब मिला कर तीन पुत्र थे।
लेवीवंशियों के काम
24 लेवी के वंशज ये थे। वे अपने परिवार के अनुसार सूची में अंकित थे। वे परिवारों के प्रमुख थे। हर एक व्यक्ति का नाम सूची में अंकित था। जो सूची में अंकित थे, वे बीस वर्ष के या उससे ऊपर के थे। वे यहोवा के मन्दिर में सेवा करते थे।
25 दाऊद ने कहा था, “इस्राएल के यहोवा परमेश्वर ने अपने लोगों को शान्ति दी है। यहोवा यरूशलेम में सदैव रहने के लिये आ गया है। 26 इसलिये लेवीवंशियों को पवित्र तम्बू या इसकी सेवा में काम आने वाली किसी चीज़ को भविष्य में ढोने की आवश्यकता नहीं है।”
27 दाऊद के अन्तिम निर्देश इस्राएल के लोगों के लिये, लेवी के परिवार समूह के वंशजों को गिनना था। उन्होंने लेवीवंशियों के बीस वर्ष और उससे ऊपर के व्यक्तियों को गिना।
28 लेवीवंशियों का काम हारून के वंशजों को यहोवा के मन्दिर में सेवा कार्य करने में सहायता करना था। लेवीवंशी मन्दिर के आँगन और बगल के कमरों की भी देखभाल करते थे। उनका काम सभी पवित्र चीजों को शुद्ध करने का था। उनका काम यह भी था कि परमेश्वर के मन्दिर में सेवा करें। 29 मन्दिर में विशेष रोटी को मेज पर रखने का उत्तरदायित्वत उनका ही था। वे आटा, अन्नबलि और अखमीरी रोटी के लिये भी उत्तरदायी थे। वे पकाने की कढ़ाईयों और मिश्रित भेंटों के लिये भी उत्तरदायी थे। वे सारा नाप तौल का काम करते थे। 30 लेवीवंशी हर एक प्रातः खड़े होते थे और यहोवा का धन्यवाद और स्तुति करते थे। वे इसे हर सन्ध्या को भी करते थे। 31 लेवीवंशी यहोवा को सभी होमबलियाँ विश्राम के विशेष दोनों, नवचन्द्र उत्सवों और सभी अन्य विशेष पर्व के दिनों,पर तैयार करते थे। वे यहोवा के सामने प्रतिदिन सेवा करते थे। कितने लेवीवंशी हर बार सेवा करेंगे उसके लिये विशेष नियम थे। 32 अतः लेवीवंशी वे सब काम करते थे। जिनकी आशा उनसे की जाती थी। वे पवित्र तम्बू की देखभाल करते थे वे पवित्र स्थान की देखभाल करते थे और वे अपने सम्बन्धियों हारून के वंशज याजकों को सहायता देते थे। लेवीवंशी यहोवा के मन्दिर में सेवा करके याजकों की सेवा करते थे।