स्तोत्र 26
दावीद की रचना. 
 1 याहवेह, मुझे निर्दोष प्रमाणित कीजिए, 
क्योंकि मैं सीधा हूं; 
याहवेह पर से मेरा भरोसा 
कभी नहीं डगमगाया. 
 2 याहवेह, मुझे परख लीजिए, मेरा परीक्षण कर लीजिए, 
मेरे हृदय और मेरे मन को परख लीजिए; 
 3 आपके करुणा-प्रेम* 26:3 करुणा-प्रेम ख़ेसेद इस हिब्री शब्द का अर्थ में “अनुग्रह, दया, प्रेम, करुणा” ये सब शामिल हैं का बोध मुझमें सदैव बना रहता है, 
आपकी सत्यता मेरे मार्ग का आश्वासन है. 
 4 मैं न तो निकम्मी चाल चलने वालों की संगत करता हूं, 
और न मैं कपटियों से सहमत होता हूं. 
 5 कुकर्मियों की समस्त सभाएं मेरे लिए घृणित हैं 
और मैं दुष्टों की संगत में नहीं बैठता. 
 6 मैं अपने हाथ धोकर निर्दोषता प्रमाणित करूंगा 
और याहवेह, मैं आपकी वेदी की परिक्रमा करूंगा, 
 7 कि मैं उच्च स्वर में आपके प्रति आभार व्यक्त कर सकूं 
और आपके आश्चर्य कार्यों को बता सकूं. 
 8 याहवेह, मुझे आपके आवास, पवित्र मंदिर से प्रेम है, 
यही वह स्थान है, जहां आपकी महिमा का निवास है. 
 9 पापियों की नियति में मुझे सम्मिलित न कीजिए, 
हिंसक पुरुषों के साथ मुझे दंड न दीजिए. 
 10 उनके हाथों में दुष्ट युक्ति है, 
जिनके दायें हाथ घूस से भरे हुए हैं. 
 11 किंतु मैं अपने आचरण में सदैव खरा रहूंगा; 
मुझ पर कृपा कर मुझे मुक्त कर दीजिए. 
 12 मेरे पैर चौरस भूमि पर स्थिर हैं; 
श्रद्धालुओं की महासभा में मैं याहवेह की वंदना करूंगा. 
*स्तोत्र 26:3 26:3 करुणा-प्रेम ख़ेसेद इस हिब्री शब्द का अर्थ में “अनुग्रह, दया, प्रेम, करुणा” ये सब शामिल हैं