स्तोत्र 91
 1 वह, जिसका निवास सर्वोच्च परमेश्वर के आश्रय में है, 
सर्वशक्तिमान के छाया कुंज में सुरक्षित निवास करेगा. 
 2 याहवेह के विषय में मेरी घोषणा है, “वह मेरे आश्रय, मेरे गढ़ हैं, 
मेरे शरणस्थान परमेश्वर हैं, जिनमें मेरा भरोसा है.” 
 3 वह तुम्हें सभी फंदे से बचाएंगे, 
वही घातक महामारी 
से तुम्हारी रक्षा करेंगे. 
 4 वह तुम्हें अपने परों में छिपा लेंगे, 
उनके पंखों के नीचे तुम्हारा आश्रय होगा; 
उनकी सच्चाई ढाल और गढ़ हैं. 
 5 तुम न तो रात्रि के आतंक से भयभीत होगे, 
न ही दिन में छोड़े गए बाण से, 
 6 वैसे ही न उस महामारी से, जो अंधकार में छिपी रहती है, 
अथवा उस विनाश से, जो दिन-दोपहरी में प्रहार करता है. 
 7 संभव है कि तुम्हारे निकट हजार 
तथा तुम्हारी दायीं ओर दस हजार आ गिरें, 
किंतु वह तुम तक नहीं पहुंचेगा. 
 8 तुम स्वयं अपनी आंखों से देखते रहोगे 
और देखोगे कि कैसा होता है कुकर्मियों का दंड. 
 9 याहवेह, आप, जिन्होंने सर्वोच्च स्थान को अपना निवास बनाया है, 
“मेरे आश्रय हैं.” 
 10 कोई भी विपत्ति तुम पर आने न पाएगी 
और न कोई विपत्ति ही तुम्हारे मंडप के निकट आएगी. 
 11 क्योंकि वह अपने स्वर्गदूतों को तुम्हारी हर एक 
गतिविधि में तुम्हारी सुरक्षा का आदेश देंगे; 
 12 वे तुम्हें अपने हाथों में उठा लेंगे, 
कि कहीं तुम्हारे पांव को पत्थर से ठोकर न लग जाए. 
 13 तुम सिंह और नाग को कुचल दोगे; 
तुम पुष्ट सिंह और सर्प को रौंद डालोगे. 
 14 यह याहवेह का आश्वासन है, “मैं उसे छुड़ाऊंगा, क्योंकि वह मुझसे प्रेम करता है; 
मैं उसे सुरक्षित रखूंगा, क्योंकि उसने मेरी महिमा पहचानी है. 
 15 जब वह मुझे पुकारेगा, मैं उसे उत्तर दूंगा; 
संकट की स्थिति में मैं उसके साथ रहूंगा, 
उसे छुड़ाकर मैं उसका सम्मान बढ़ाऊंगा. 
 16 मैं उसे दीर्घायु से तृप्त करूंगा 
और मैं उसे अपने उद्धार का अनुभव कराऊंगा.”