स्तोत्र 130
आराधना के लिए यात्रियों का गीत. 
 1 याहवेह, गहराइयों में से मैं आपको पुकार रहा हूं; 
 2 हे प्रभु, मेरा स्वर सुन लीजिए, 
कृपा के लिए मेरी नम्र विनती की 
ओर आपके कान लगे रहें. 
 3 याहवेह, यदि आप अपराधों का लेखा रखने लगें, 
तो प्रभु, कौन ठहर सकेगा? 
 4 किंतु आप क्षमा शील हैं, 
तब आप श्रद्धा के योग्य हैं. 
 5 मुझे, मेरे प्राणों को, याहवेह की प्रतीक्षा रहती है, 
उनके वचन पर मैंने आशा रखी है. 
 6 मुझे प्रभु की प्रतीक्षा है 
उन रखवालों से भी अधिक, जिन्हें सूर्योदय की प्रतीक्षा रहती है, 
वस्तुतः उन रखवालों से कहीं अधिक जिन्हें भोर की प्रतीक्षा रहती है. 
 7 इस्राएल, याहवेह पर भरोसा रखो, 
क्योंकि जहां याहवेह हैं वहां करुणा-प्रेम भी है 
और वही पूरा छुटकारा देनेवाले हैं. 
 8 स्वयं वही इस्राएल को, 
उनके अपराधों को क्षमा करेंगे.