13
उद्धार के लिये प्रार्थना 
प्रधान बजानेवाले के लिये दाऊद का भजन 
 1 हे परमेश्वर, तू कब तक? क्या सदैव मुझे भूला रहेगा? 
तू कब तक अपना मुखड़ा मुझसे छिपाए रखेगा? 
 2 मैं कब तक अपने मन ही मन में युक्तियाँ करता रहूँ, 
और दिन भर अपने हृदय में दुःखित रहा करूँ* 13:2 दिन भर अपने हृदय में दुःखित रहा करूँ: प्रतिदिन लगातार दु:खी रहूँ। अर्थात् उसके कष्टों में अन्तराल नहीं था।?, 
कब तक मेरा शत्रु मुझ पर प्रबल रहेगा? 
 3 हे मेरे परमेश्वर यहोवा, मेरी ओर ध्यान दे और मुझे उत्तर दे, 
मेरी आँखों में ज्योति आने दे† 13:3 मेरी आँखों में ज्योति आने दे: मृत्यु के निकट आने पर आँखों की ज्योति कम हो जाती है और उसे ऐसा प्रतीत होता है कि मृत्यु निकट है। वह कहता है कि जब तक परमेश्वर हस्तक्षेप न करे अंधकार गहरा होता जाएगा।, नहीं तो मुझे मृत्यु की नींद आ जाएगी; 
 4 ऐसा न हो कि मेरा शत्रु कहे, “मैं उस पर प्रबल हो गया;” 
और ऐसा न हो कि जब मैं डगमगाने लगूँ तो मेरे शत्रु मगन हों। 
 5 परन्तु मैंने तो तेरी करुणा पर भरोसा रखा है; 
मेरा हृदय तेरे उद्धार से मगन होगा। 
 6 मैं यहोवा के नाम का भजन गाऊँगा, 
क्योंकि उसने मेरी भलाई की है। 
*13:2 13:2 दिन भर अपने हृदय में दुःखित रहा करूँ: प्रतिदिन लगातार दु:खी रहूँ। अर्थात् उसके कष्टों में अन्तराल नहीं था।
†13:3 13:3 मेरी आँखों में ज्योति आने दे: मृत्यु के निकट आने पर आँखों की ज्योति कम हो जाती है और उसे ऐसा प्रतीत होता है कि मृत्यु निकट है। वह कहता है कि जब तक परमेश्वर हस्तक्षेप न करे अंधकार गहरा होता जाएगा।