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दुष्ट का अन्त और धर्मी की शान्ति 
प्रधान बजानेवाले के लिये मश्कील पर दाऊद का भजन जब दोएग एदोमी ने शाऊल को बताया कि दाऊद अहीमेलेक के घर गया था 
 1 हे वीर, तू बुराई करने पर क्यों घमण्ड करता है? 
परमेश्वर की करुणा तो अनन्त है। 
 2  तेरी जीभ केवल दुष्टता गढ़ती है* 52:2 तेरी जीभ केवल दुष्टता गढ़ती है: कहने का अर्थ है कि वह मनुष्य अपनी जीभ के द्वारा मनुष्यों का विनाश करता है। ; 
सान धरे हुए उस्तरे के समान वह छल 
का काम करती है। 
 3 तू भलाई से बढ़कर बुराई में, 
और धार्मिकता की बात से बढ़कर झूठ से प्रीति रखता है। 
(सेला) 
  4 हे छली जीभ, 
तू सब विनाश करनेवाली बातों से प्रसन्न रहती है। 
 5 निश्चय परमेश्वर तुझे सदा के लिये नाश कर देगा; 
वह तुझे पकड़कर तेरे डेरे से निकाल देगा; 
और जीवितों के लोक से तुझे उखाड़ डालेगा। 
(सेला) 
  6 तब धर्मी लोग इस घटना को देखकर डर जाएँगे, 
और यह कहकर उस पर हँसेंगे, 
 7 “देखो, यह वही पुरुष है जिसने परमेश्वर को 
अपनी शरण नहीं माना, 
परन्तु अपने धन की बहुतायत पर भरोसा रखता था, 
और अपने को दुष्टता में दृढ़ करता रहा!” 
 8 परन्तु मैं तो परमेश्वर के भवन में हरे जैतून के 
मैंने परमेश्वर की करुणा पर सदा सर्वदा के 
लिये भरोसा रखा है। 
 9 मैं तेरा धन्यवाद सर्वदा करता रहूँगा, क्योंकि 
तू ही ने यह काम किया है। 
मैं तेरे नाम पर आशा रखता हूँ, क्योंकि 
यह तेरे पवित्र भक्तों के सामने उत्तम है। 
*52:2 52:2 तेरी जीभ केवल दुष्टता गढ़ती है: कहने का अर्थ है कि वह मनुष्य अपनी जीभ के द्वारा मनुष्यों का विनाश करता है।
†52:8 52:8 मैं तो परमेश्वर के भवन में हरे जैतून के वृक्ष के समान हूँ: इस प्रकार पवित्रस्थान के आँगन में लगाया गया वृक्ष पवित्र माना जाता है क्योंकि वह परमेश्वर की सुरक्षा के अधीन होता है।