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प्यासा मन परमेश्वर में तृप्त 
दाऊद का भजन; जब वह यहूदा के जंगल में था। 
 1 हे परमेश्वर, तू मेरा परमेश्वर है, 
मैं तुझे यत्न से ढूँढ़ूगा; 
सूखी और निर्जल ऊसर भूमि पर* 63:1 सूखी और निर्जल ऊसर भूमि पर: अर्थात् जैसे सूखी भूमि में कोई प्यासा हो वैसे मेरी आत्मा परमेश्वर के लिए तरसती है। , 
मेरा मन तेरा प्यासा है, मेरा शरीर तेरा अति अभिलाषी है। 
 2 इस प्रकार से मैंने पवित्रस्थान में तुझ पर दृष्टि की, 
कि तेरी सामर्थ्य और महिमा को देखूँ। 
 3 क्योंकि तेरी करुणा जीवन से भी उत्तम है, 
मैं तेरी प्रशंसा करूँगा। 
 4 इसी प्रकार मैं जीवन भर तुझे धन्य कहता रहूँगा; 
और तेरा नाम लेकर अपने हाथ उठाऊँगा। 
 5 मेरा जीव मानो चर्बी और चिकने भोजन से तृप्त होगा, 
और मैं जयजयकार करके तेरी स्तुति करूँगा। 
 6 जब मैं बिछौने पर पड़ा तेरा स्मरण करूँगा, 
तब रात के एक-एक पहर में तुझ पर ध्यान करूँगा; 
 7 क्योंकि तू मेरा सहायक बना है, 
इसलिए मैं तेरे पंखों की छाया में जयजयकार करूँगा† 63:7 मैं तेरे पंखों की छाया में जयजयकार करूँगा: तेरे पंखों के नीचे या उनकी सुरक्षा में सुरक्षित रहूँगा।। 
 8 मेरा मन तेरे पीछे-पीछे लगा चलता है; 
और मुझे तो तू अपने दाहिने हाथ से थाम रखता है। 
 9 परन्तु जो मेरे प्राण के खोजी हैं, 
वे पृथ्वी के नीचे स्थानों में जा पड़ेंगे; 
 10 वे तलवार से मारे जाएँगे, 
और गीदड़ों का आहार हो जाएँगे। 
 11 परन्तु राजा परमेश्वर के कारण आनन्दित होगा; 
जो कोई परमेश्वर की शपथ खाए, वह बड़ाई करने पाएगा; 
परन्तु झूठ बोलनेवालों का मुँह बन्द किया जाएगा।