Psalms 
भजन संहिता  
पहला भाग 
 १
भजन 1—41 
परमेश्वर की व्यवस्था में सच्चा सुख 
 १ क्या ही धन्य है वह मनुष्य जो दुष्टों की योजना पर* नहीं चलता, 
और न पापियों के मार्ग में खड़ा होता; 
और न ठट्ठा करनेवालों की मण्डली में बैठता है! 
 २ परन्तु वह तो यहोवा की व्यवस्था से प्रसन्न रहता; 
और उसकी व्यवस्था पर रात-दिन ध्यान करता रहता है। 
 ३ वह उस वृक्ष के समान है, जो बहती पानी की धाराओं के किनारे लगाया गया है* 
और अपनी ऋतु में फलता है, 
और जिसके पत्ते कभी मुरझाते नहीं। 
और जो कुछ वह पुरुष करे वह सफल होता है। 
 ४ दुष्ट लोग ऐसे नहीं होते, 
वे उस भूसी के समान होते हैं, जो पवन से उड़ाई जाती है। 
 ५ इस कारण दुष्ट लोग अदालत में स्थिर न रह सकेंगे, 
और न पापी धर्मियों की मण्डली में ठहरेंगे; 
 ६ क्योंकि यहोवा धर्मियों का मार्ग जानता है, 
परन्तु दुष्टों का मार्ग नाश हो जाएगा।