12
मदद के लिए दुआ 
 1 दाऊद का ज़बूर। मौसीक़ी के राहनुमा के लिए। तर्ज़ : शमीनीत। 
ऐ रब, मदद फ़रमा! क्योंकि ईमानदार ख़त्म हो गए हैं। दियानतदार इनसानों में से मिट गए हैं। 
 2 आपस में सब झूट बोलते हैं। उनकी ज़बान पर चिकनी-चुपड़ी बातें होती हैं जबकि दिल में कुछ और ही होता है। 
 3 रब तमाम चिकनी-चुपड़ी और शेख़ीबाज़ ज़बानों को काट डाले! 
 4 वह उन सबको मिटा दे जो कहते हैं, “हम अपनी लायक़ ज़बान के बाइस ताक़तवर हैं। हमारे होंट हमें सहारा देते हैं तो कौन हमारा मालिक होगा? कोई नहीं!” 
 5 लेकिन रब फ़रमाता है, “नाचारों पर तुम्हारे ज़ुल्म की ख़बर और ज़रूरतमंदों की कराहती आवाज़ें मेरे सामने आई हैं। अब मैं उठकर उन्हें उनसे छुटकारा दूँगा जो उनके ख़िलाफ़ फुँकारते हैं।” 
 6 रब के फ़रमान पाक हैं, वह भट्टी में सात बार साफ़ की गई चाँदी की मानिंद ख़ालिस हैं। 
 7 ऐ रब, तू ही उन्हें महफ़ूज़ रखेगा, तू ही उन्हें अबद तक इस नसल से बचाए रखेगा, 
 8 गो बेदीन आज़ादी से इधर उधर फिरते हैं, और इनसानों के दरमियान कमीनापन का राज है।