5
ख़ुदावंद की आमद के लिए तैयार रहना 
 1 भाइयो, इसकी ज़रूरत नहीं कि हम आपको लिखें कि यह सब कुछ कब और किस मौक़े पर होगा।  2 क्योंकि आप ख़ुद ख़ूब जानते हैं कि ख़ुदावंद का दिन यों आएगा जिस तरह चोर रात के वक़्त घर में घुस आता है।  3 जब लोग कहेंगे, “अब अमनो-अमान है,” तो हलाकत अचानक ही उन पर आन पड़ेगी। वह इस तरह मुसीबत में पड़ जाएंगे जिस तरह वह औरत जिसका बच्चा पैदा हो रहा है। वह हरगिज़ नहीं बच सकेंगे।  4 लेकिन आप भाइयो तारीकी की गिरिफ़्त में नहीं हैं, इसलिए यह दिन चोर की तरह आप पर ग़ालिब नहीं आना चाहिए।  5 क्योंकि आप सब रौशनी और दिन के फ़रज़ंद हैं। हमारा रात या तारीकी से कोई वास्ता नहीं।  6 ग़रज़ आएँ, हम दूसरों की मानिंद न हों जो सोए हुए हैं बल्कि जागते रहें, होशमंद रहें।  7 क्योंकि रात के वक़्त ही लोग सो जाते हैं, रात के वक़्त ही लोग नशे में धुत हो जाते हैं।  8 लेकिन चूँकि हम दिन के हैं इसलिए आएँ हम होश में रहें। लाज़िम है कि हम ईमान और मुहब्बत को ज़िरा-बकतर के तौर पर और नजात की उम्मीद को ख़ोद के तौर पर पहन लें।  9 क्योंकि अल्लाह ने हमें इसलिए नहीं चुना कि हम पर अपना ग़ज़ब नाज़िल करे बल्कि इसलिए कि हम अपने ख़ुदावंद ईसा मसीह के वसीले से नजात पाएँ।  10 उसने हमारी ख़ातिर अपनी जान दे दी ताकि हम उसके साथ जिएँ, ख़ाह हम उस की आमद के दिन मुरदा हों या ज़िंदा।  11 इसलिए एक दूसरे की हौसलाअफ़्ज़ाई और तामीर करते रहें, जैसा कि आप कर भी रहे हैं। 
आख़िरी हिदायात और सलाम 
 12 भाइयो, हमारी दरख़ास्त है कि आप उनकी क़दर करें जो आपके दरमियान सख़्त मेहनत करके ख़ुदावंद में आपकी राहनुमाई और हिदायत करते हैं।  13 उनकी ख़िदमत को सामने रखकर प्यार से उनकी बड़ी इज़्ज़त करें। और एक दूसरे के साथ मेल-मिलाप से ज़िंदगी गुज़ारें। 
 14 भाइयो, हम इस पर ज़ोर देना चाहते हैं कि उन्हें समझाएँ जो बेक़ायदा ज़िंदगी गुज़ारते हैं, उन्हें तसल्ली दें जो जल्दी से मायूस हो जाते हैं, कमज़ोरों का ख़याल रखें और सबको सब्र से बरदाश्त करें।  15 इस पर ध्यान दें कि कोई किसी से बुराई के बदले बुराई न करे बल्कि आप हर वक़्त एक दूसरे और तमाम लोगों के साथ नेक काम करने में लगे रहें। 
 16 हर वक़्त ख़ुश रहें,  17 बिलानाग़ा दुआ करें,  18 और हर हालत में ख़ुदा का शुक्र करें। क्योंकि जब आप मसीह में हैं तो अल्लाह यही कुछ आपसे चाहता है। 
 19 रूहुल-क़ुद्स को मत बुझाएँ।  20 नबुव्वतों की तहक़ीर न करें।  21 सब कुछ परखकर वह थामे रखें जो अच्छा है,  22 और हर क़िस्म की बुराई से बाज़ रहें। 
 23 अल्लाह ख़ुद जो सलामती का ख़ुदा है आपको पूरे तौर पर मख़सूसो-मुक़द्दस करे। वह करे कि आप पूरे तौर पर रूह, जान और बदन समेत उस वक़्त तक महफ़ूज़ और बेइलज़ाम रहें जब तक हमारा ख़ुदावंद ईसा मसीह वापस नहीं आ जाता।  24 जो आपको बुलाता है वह वफ़ादार है और वह ऐसा करेगा भी। 
 25 भाइयो, हमारे लिए दुआ करें। 
 26 तमाम भाइयों को हमारी तरफ़ से बोसा देना। 
 27 ख़ुदावंद के हुज़ूर मैं आपको ताकीद करता हूँ कि यह ख़त तमाम भाइयों के सामने पढ़ा जाए। 
 28 हमारे ख़ुदावंद ईसा मसीह का फ़ज़ल आपके साथ होता रहे।