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अबदी बादशाह और इमाम 
 1 दाऊद का ज़बूर। 
रब ने मेरे रब से कहा, “मेरे दहने हाथ बैठ, जब तक मैं तेरे दुश्मनों को तेरे पाँवों की चौकी न बना दूँ।” 
 2 रब सिय्यून से तेरी सलतनत की सरहद्दें बढ़ाकर कहेगा, “आस-पास के दुश्मनों पर हुकूमत कर!” 
 3 जिस दिन तू अपनी फ़ौज को खड़ा करेगा तेरी क़ौम ख़ुशी से तेरे पीछे हो लेगी। तू मुक़द्दस शानो-शौकत से आरास्ता होकर तुलूए-सुबह के बातिन से अपनी जवानी की ओस पाएगा। 
 4 रब ने क़सम खाई है और इससे पछताएगा नहीं, “तू अबद तक इमाम है, ऐसा इमाम जैसा मलिके-सिद्क़ था।” 
 5 रब तेरे दहने हाथ पर रहेगा और अपने ग़ज़ब के दिन दीगर बादशाहों को चूर चूर करेगा। 
 6 वह क़ौमों में अदालत करके मैदान को लाशों से भर देगा और दूर तक सरों को पाश पाश करेगा। 
 7 रास्ते में वह नदी से पानी पी लेगा, इसलिए अपना सर उठाए फिरेगा।