11
1 तब आत्मा मुझे यहोवा के मन्दिर के पूर्वी द्वार पर ले गया। इस द्वार का मुख पूर्व को है जहाँ सूरज निकलता है। मैंने इस फाटक के प्रवेश द्वार पर पच्चीस व्यक्ति देखे। अज्जूर का पुत्र याजन्याह उन लोगों के साथ था और बनायाह का पुत्र पलत्याह वहाँ था। पलत्याह लोगों का प्रमुख था।
2 तब परमेश्वर ने मुझसे कहा। उसने बताया, “मनुष्य के पुत्र, ये वे व्यक्ति हैं जो इस नगर में बुरी योजना बनाते हैं। ये सदा लोगों के बुरे काम करने को कहते हैं।
3 वे लोग कहते हैं, ‘हम लोग शीघ्र ही फिर से अपने मकान बनाने लगेंगे। हम लोग पात्र में रखे माँस की तरह इस नगर में सुरक्षित हैं!’
4 वे यह झूठ फैला रहे हैं। इसलिये तुम्हें मेरे लिये लोगों से बात करनी चाहिए। मनुष्य के पुत्र! जाओ और लोगों के बीच भविष्यवाणी करो।”
5 तब यहोवा की आत्मा मुझमें आई। उसने मुझसे कहा, “उनसे कहो कि यहोवा ने यह सब कहा है: इस्राएल के परिवार, तुम बड़ी योजना बना रहे हो। किन्तु मैं जानता हूँ कि तुम क्या सोच रहे हो!
6 तुमने इस नगर में बहुत से लोगों को मार डाला है। तुमने सड़कों को शवों से पाट दिया है।
7 अब हमारा स्वामी यहोवा, यह कहता है, ‘वे शव माँस हैं और यह नगर पात्र है। किन्तु वह (नबूकदनेस्सर) आएगा और तुम्हें इस सुरक्षित पात्र से निकाल ले जाएगा!
8 तुम तलवार से भयभीत हो। किन्तु मैं तुम्हारे विरुद्ध तलवार ला रहा हूँ।’” हमारे स्वामी यहोवा ने यह सब कहा है। इसलिये ये घटित होंगी!
9 परमेश्वर ने यह भी कहा, “मैं तुम लोगों को इस नगर से बाहर ले जाऊँगा और मैं तुम्हें अजनबियों को सौंप दूँगा। मैं तुम लोगों को दण्ड दूँगा!
10 तुम तलवार के घाट उतरोगे। मैं तुम्हें यहाँ इस्राएल में दण्ड दूँगा जिससे तुम समझोगे कि वह मैं हूँ जो तुम्हें दण्ड दे रहा हूँ। मैं यहोवा हूँ।
11 हाँ, यह स्थान खौलती कड़ाही बनेगा और तुम इसमें के माँस होंगे, जो भूना जाता है! मैं तुम्हें यहाँ इस्राएल में दण्ड दूँगा।
12 तब तुम जानोगे कि मैं यहोवा हूँ। वह मेरा नियम था जिसे तुमने तोड़ा है! तुमने मेरे आदेशों का पालन नहीं किया। तुमने अपने चारों ओर के राष्ट्रों की तरह रहने का निर्णय किया।”
13 जैसे ही मैंने परमेश्वर के लिये बोलना समाप्त किया, बनायाह का पुत्र पलत्याह मर गया! मैं धरती पर गिर पड़ा। मैंने धरती पर माथा टेका और कहा, “हे मेरे स्वामी यहोवा, तू क्या इस्राएल के सभी बचे हुओं को पूरी तरह नष्ट करने पर तुला हुआ है!”
14 किन्तु तब यहोवा का वचन मुझे मिला। उसने कहा,
15 “मनुष्य के पुत्र, तुम इस्राएल के परिवार के अपने उन भाईयों को याद करो जिन्हें अपने देश को छोड़ने के लिये विवश किया गया था। लेकिन मैं उन्हें वापस लाऊँगा। किन्तु यहाँ यरूशलेम में रहने वाले लोग कह रहे है, यहोवा हम से दूर रह। यह भूमि हमें दी गई — यह हमारी है!”
16 इसलिये उन लोगों से यह सब कहो: हमारा स्वामी यहोवा, कहता है, “यह सत्य है कि मैंने अपने लोगों को बहुत दूर के देशों में जाने को विवश किया। मैंने ही उनको बहुत से देशों में बिखेरा और मैं अन्य देशों में उन के लिये थोड़े समय का पवित्र स्थान ठहरुँगा।
17 इसलिये तुम्हें उन लोगों के कहना चाहिए कि उनका स्वामी यहोवा, उन्हें वापस लाएगा। मैंने तुम्हें, बहुत से देशों में बिखेर दिया है। किन्तु मैं तुम लोगों को एक साथ इकट्ठा करुँगा और उन राष्ट्रों से तुम्हें वापस लाऊँगा। मैं इस्राएल का प्रदेश तुम्हें वापस दूँगा
18 और जब हमारे लोग लौटेंगे तो वे उन सभी भंयकर गन्दी देवमूर्तियों को, जो अब यहाँ है, नष्ट कर देंगे।
19 मैं उन्हें एक साथ लाऊँगा और उन्हें एक व्यक्ति सा बनाऊँगा। मैं उनमें नयी आत्मा भरूँगा। मैं उनके पत्थर के हृदय को दूर करुँगा और उसके स्थान पर सच्चा हृदय दूँगा।
20 तब वे मेरे नियमों का पालन करेंगे। वे मेरे आदेशों का पालन करेंगे, वे वह कार्य करेंगे जिन्हें मैं करने को कहूँगा। वे सचमुच मेरे लोग होंगे और मैं उनका परमेश्वर होऊँगा।”
21 तब परमेश्वर ने कहा, “किन्तु इस समय उनका हृदय भयंकर गन्दी देवमूर्तियों का हो चुका है। मुझे उन लोगों को उन बुरे कर्मों के लिये दण्ड देना चाहिए जो उन्होंने किया है।” मेरे स्वामी यहोवा ने यह कहा है।
22 तब करुब (स्वर्गदूत) ने अपने पंख खोले और हवा में उड़ गये। चक्र उनके साथ गए। इस्राएल के परमेश्वर का तेज उनके ऊपर था।
23 यहोवा का तेज ऊपर हवा में उठा और उसने यरूशलेम को छोड़ दिया। वह क्षण भर के लिये यरूशलेम के पूर्व की पहाड़ी पर ठहरा।
24 तब आत्मा ने मुझे हवा में उठाया और वापस बाबुल में पहुँचा दिया। उसने मुझे उन लोगों के पास लौटाया, जो इस्राएल छोड़ने के लिये विवश किये गये थे। तब दर्शन में परमेश्वर की आत्मा हवा में उठी और मुझे छोड़ दिया। मैंने उन सभी चीजों को परमेश्वर के दर्शन में देखा।
25 तब मैंने निर्वासित लोगों से बातें की। मैंने वे सभी बातें बताई जो यहोवा ने मुझे दिखाई थीं।