सूखी हड्डियों का दर्शन
37
1 यहोवा की शक्ति मुझ पर उतरी। यहोवा की आत्मा मुझे नगर के बाहर ले गई और नीचे एक घाटी के बीच में रखा। घाटी मरे लोगों की हड्डियों से भरी थी।
2 घाटी में असंख्य हड्डियाँ भूमि पर पड़ी थी। यहोवा ने मुझे हड्डियों के चारों ओर घुमाया। मैंने देखा कि हड्डियाँ बहुत सूखी हैं।
3 तब मेरे स्वामी यहोवा ने मुझसे कहा, “मनुष्य के पुत्र, क्या यह हड्डियाँ जीवित हो सकती हैं”
मैंने उत्तर दिया, “मेरे स्वामी यहोवा, उस प्रश्न का उत्तर केवल तू जानता है।”
4 मेरे स्वामी यहोवा ने मुझसे कहा, “उन हड्डियों से मेरे लिये बातें करो। उन हड्डियों से कहो, ‘सूखी हड्डियों, यहोवा का वचन सुनों!
5 मेरा स्वामी यहोवा तुम से यह कहता है: मैं तुममें आत्मा को आने दूँगा और तुम जीवित हो जाओगे!
6 मैं तुम्हारे ऊपर नसें और माँस पेशियाँ चढ़ाऊँगा और मैं तुम्हें चमड़ी से ढक दूँगा। तब मैं तुम में प्राण का संचार करुँगा और तुम फिर जीवित हो उठोगे। तब तुम समझोगे कि मैं स्वामी यहोवा हूँ।’”
7 अत: मैंने यहोवा के लिये उन हड्डियों से वैसे ही बातें कीं जैसा उसने कहा। मैं जब कुछ कह ही रहा था तभी मैंने प्रचण्ड ध्वनि सुनी। हड्डियाँ खड़खड़ाने लगीं और हड्डियाँ हड्डियों से एक साथ जुड़ीं!
8 वहाँ मेरी आँखों के सामने नसों, माँस पेशियों और त्वचा ने हड्डियों को ढकना आरम्भ किया। किन्तु शरीर हिले नहीं, उनमें प्राण नहीं था।
9 तब तेरे स्वामी यहोवा ने मुझसे कहा, “सांस से मेरे लिये कहो। मनुष्य के पुत्र, मेरे लिये सांस से बातों करो। सांस से कहो कि स्वामी यहोवा यह कह रहा है: ‘सांस, हर दिशा से आओ और इन शवों में प्राण संचार करो। उनमें प्राण संचार करो और वे फिर जीवित हो जाएंगे!’”
10 इस प्रकार मैंने यहोवा के लिये सांस से बातें कीं जैसा उसने कहा और शवों में सांस आई। वे जीवित हुए और खड़े हो गये। वहाँ बहुत से पुरुष थे, वे एक बड़ी विशाल सेना थे!
11 तब मेरे स्वामी यहोवा ने मुझसे कहा, “मनुष्य के पुत्र, ये हड्डियाँ इस्राएल के पूरे परिवार की तरह हैं! इस्राएल के लोग कहते है, हमारी हड्डियाँ सूख गई है, ‘हमारी आशा समाप्त है। हम पूरी तरह नष्ट किये जा चुके हैं।’
12 इसलिये उनसे मेरे लिये बातें करो। उनसे कहो, ‘स्वामी यहोवा यह कहता है: मेरे लोगों, मैं तुम्हारी कब्रें खोलूँगा और तुम्हें कब्रों के बाहर लाऊँगा! तब मैं तुम्हें इस्राएल की भूमि पर लाऊँगा।
13 मेरे लोगों, मैं तुम्हारी कब्रें खोलूँगा और तुम्हारी कब्रों से तुम्हें बाहर लाऊँगा। तब तुम समझोगे कि मैं यहोवा हूँ।
14 मैं अपनी आत्मा तुममे डालूँगा और तुम फिर से जीवित हो जाओगे। तब तुमको मैं तुम्हारे देश में वापस लाऊँगा। तब तुम जानोगे कि मैं यहोवा हूँ। तुम जानोगे कि मैंने ये बातें कहीं और उन्हें घटित कराया।’” यहोवा ने यह कहा था।
यहूदा और इस्राएल का फिर एक होना
15 मुझे यहोवा का वचन फिर मिला। उसने कहा,
16 “मनुष्य के पुत्र, एक छड़ी लो और उस पर यह सन्देश लिखो: ‘यह छड़ी यहूदा और उसके मित्र इस्राएल के लोगों की है।’ तब दूसरी छड़ी लो और इस पर लिखो, ‘एप्रैम की यह छड़ी, यूसुफ और उसके मित्र इस्राएल के लोगों की है।’
17 तब दोनों छड़ियों को एक साथ जोड़ दो। तुम्हारे हाथ में वे एक छड़ी होंगी।
18 “तुम्हारे लोग यह स्पष्ट करने को कहेंगे कि इसका अर्थ क्या है।
19 उनसे कहो कि स्वामी यहोवा कहता है, ‘मैं यूसुफ की छड़ी लूँगा जो इस्राएल के लोगों, जो एप्रैम और उसके मित्रों के हाथ में है। तब मैं उस छड़ी को यहूदा की छड़ी के साथ रखूँगा और इन्हें एक छड़ी बनाऊँगा। मेरे हाथ में वह एक छड़ी होगी!’
20 “उनके आँखों के सामने उन छड़ियों को अपने हाथों में पकड़ो। तुमने वे नाम उन छड़ियों पर लिखे थे।
21 लोगों से कहो कि स्वामी यहोवा यह कहता है: ‘मैं इस्राएल के लोगों को उन राष्ट्रों से लाऊँगा, जहाँ वे गए हैं। मैं उन्हें चारों ओर से एकत्रित करूँगा और उनके अपने देश में लाऊँगा।
22 मैं उन्हें इस्राएल के पर्वतों के प्रदेश में एक राष्ट्र बनाऊँगा। उन सभी का केवल एक राजा होगा। वे दो राष्ट्र नहीं बने रहेंगे। वे भविष्य में राज्यों में नहीं बाँटे जा सकते।
23 वे अपनी देवमूर्तियों और भयंकर मूर्तियों या अपने अन्य किसी अपराध से अपने आपको गन्दा बनाते नहीं रहेंगे। किन्तु मैं उन्हें सभी पापों से बचाता रहूँगा, चाहे वे जहाँ कहीं भी हों। मैं उन्हें नहलाऊँगा और शुद्ध करूँगा। वे मेरे लोग होंगे और मैं उनका परमेश्वर रहूँगा।
24 “‘मेरा सेवक दाऊद उनके ऊपर राजा होगा। उन सभी का केवल एक गड़ेरिया होगा। वे मेरे नियमों के सहारे रहेंगे और मेरे विधियों का पालन करेंगे। वे वह काम करेंगे जो मैं कहूँगा।
25 वे उस भूमि पर रहेंगे जो मैंने अपने सेवक याकूब को दी। तुम्हारे पूर्वज उस स्थान पर रहते थे और मेरे लोग वहाँ रहेंगे। वे, उनके बच्चे और उनके पौत्र—पौत्रियाँ वहाँ सर्वदा रहेंगी और मेरा सेवक दाऊद उनका प्रमुख सदा रहेगा।
26 मैं उनके साथ एक शान्ति—सन्धि करूँगा। यह सन्धि सदा बनी रहेगी। मैं उनको उनका देश देना स्वीकार करता हूँ। मैं उन्हें बहुसंख्यक लोग बनाना स्वीकार करता हूँ। मैं अपना पवित्र स्थान वहाँ उनके साथ सदा के लिये रखना स्वीकार करता हूँ।
27 मेरा पवित्र तम्बू वहाँ उनके बीच रहेगा। हाँ, मैं उनका परमेश्वर और वे मेरे लोग होंगे।
28 तब अन्य राष्ट्र समझेंगे कि मैं यहोवा हूँ और वे जानेंगे कि मैं इस्राएल को, उनके बीच सदा के लिये अपना पवित्र स्थान रखकर, अपने विशेष लोग बना रहा हूँ।’”