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1 ई आवश्यक नहि अछि जे प्रभुक लोक सभक लेल जमा होमऽ वला एहि दानक विषय मे हम अहाँ सभ केँ एहि तरहेँ लिखी। 2 किएक तँ हम जनैत छी जे अहाँ सभ सहायता करबाक लेल तत्पर छी। हम मकिदुनिया प्रदेशक विश्वासी सभ लग एहि विषय मे अहाँ सभ पर गर्व करैत कहने छी जे अखाया प्रदेशक विश्वासी सभ एक साल सँ दान देबाक लेल तैयार छथि। अहाँ सभक तत्परता सँ हुनका सभ मे सँ बहुतो केँ जोस भेटल छनि। 3 मुदा हम एहि भाय सभ केँ अहाँ सभ लग एहि लेल पठा रहल छी जे हम एहि विषय मे अहाँ सभक जे बड़ाइ कयलहुँ से निरर्थक नहि ठहरय आ जाहि सँ जहिना हम कहैत आयल छी तहिना अहाँ सभ तैयार पाओल जाइ। 4 नहि तँ कतौ एना नहि होअय जे जँ किछु मकिदुनियाक विश्वासी हमरा संग अबथि आ अहाँ सभ केँ तैयार नहि पबथि तँ एहि भरोसा लेल जे अहाँ सभ पर कयने छी, हमरा सभ केँ लज्जित होमऽ पड़य आ हमरो सभ सँ बेसी अहीं सभ केँ होमऽ पड़य। 5 तेँ हमरा ई आवश्यक बुझायल जे हम एहि भाय सभ सँ अनुरोध करी जे ओ सभ हमरा सँ पहिने अहाँ सभक ओतऽ पहुँचथि आ एहन प्रबन्ध करथि जे अहाँ सभ जे दान देबाक लेल पहिने सँ वचन देने छी से तैयार रहय। मुदा ई दान जोर-जबरदस्ती सँ नहि, बल्कि स्वेच्छा सँ देल जाय।
खुशी सँ देल दानक परिणाम
6 मुदा एहि बातक ध्यान राखू जे, जे कम बीया बाउग करत से कम काटत आ जे प्रशस्त बाउग करत से बेसी काटत। 7 प्रत्येक व्यक्ति, जतबा ओ अपना मोन मे निश्चय कयने होअय ततबा देअय, दुखी भऽ कऽ वा जोर-जबरदस्तीक कारणेँ नहि, किएक तँ प्रसन्नतापूर्बक देबऽ वला सँ परमेश्वर प्रेम करैत छथिन। 8 परमेश्वर अपना कृपा सँ अहाँ सभ केँ प्रशस्त मात्रा मे सभ प्रकारक आशिष देबऽ मे समर्थ छथि जाहि सँ अहाँ सभ केँ जे किछु आवश्यक होअय, से सदिखन अहाँ सभ लग रहय, आ प्रत्येक भलाइक काजक लेल सेहो अहाँ सभ लग बहुत किछु बचि जाय। 9 धर्मशास्त्र मे एहन व्यक्तिक बारे मे लिखल अछि जे,
“ओ प्रशस्त मात्रा मे गरीब सभ केँ दान देने अछि;
ओकर धार्मिकता अनन्त काल तक बनल रहतैक।”* 9:9 भजन 112:9
10 जे बाउग करऽ वला केँ बीया, आ भोजन करऽ वला केँ रोटी दैत छथिन सैह अहाँ सभक बीयाक भण्डार बढ़ौताह आ अहाँ सभक परोपकार रूपी फसिलक वृद्धि करताह। 11 अहाँ सभ प्रत्येक बात मे सम्पन्न बनाओल जायब जाहि सँ अहाँ सभ हमेशा बिनु कंजूसी कऽ खुशी-खुशी सँ दोसर केँ दऽ सकब। तखन हमरा सभक माध्यम सँ पठाओल अहाँ सभक दानक कारणेँ बहुत लोक परमेश्वर केँ धन्यवाद देतनि। 12 किएक तँ अहाँ सभक एहि दान वला सेवा-काजक द्वारा मात्र प्रभुक लोक सभक आवश्यकते सभ पूरा नहि होइत अछि, बल्कि ई बहुते लोकक मोन मे परमेश्वर केँ धन्यवाद देबाक कारण सेहो बनैत अछि। 13 अहाँ सभक एहि सेवा सँ प्रमाण लऽ कऽ लोक परमेश्वरक स्तुति करतनि जे अहाँ सभ मसीहक सुसमाचार पर विश्वास करबाक गवाही देबाक संग-संग तकरा अनुसार चलितो छी आ अपन सम्पत्ति मे सँ ओकरा सभ केँ और सभ केँ खुशी सँ दैत छी। 14 ओ सभ अहाँ सभ केँ परमेश्वर सँ प्राप्त कयल अपार कृपा केँ देखि हृदय खोलि कऽ अहाँ सभक लेल प्रार्थना करताह।
15 परमेश्वरक ओहि दानक लेल जे वर्णन सँ बाहर अछि हुनका धन्यवाद होनि!