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बिलदद द्वारा परमेश्वर की सच्चाई की पुष्टि 
 1 तब शूही बिलदद ने कहना प्रारंभ किया: 
 2 “और कितना दोहराओगे इस विषय को? 
अब तो तुम्हारे शब्द तेज हवा जैसी हो चुके हैं. 
 3 क्या परमेश्वर द्वारा अन्याय संभव है? 
क्या सर्वशक्तिमान न्याय को पथभ्रष्ट करेगा? 
 4 यदि तुम्हारे पुत्रों ने परमेश्वर के विरुद्ध पाप किया है, 
तब तो परमेश्वर ने उन्हें उनके अपराधों के अधीन कर दिया है. 
 5 यदि तुम परमेश्वर को आग्रहपूर्वक अर्थना करें, सर्वशक्तिमान से 
कृपा की याचना करें, 
 6 यदि तुम पापरहित तथा ईमानदार हो, यह निश्चित है 
कि परमेश्वर तुम्हारे पक्ष में सक्रिय हो जाएंगे 
और तुम्हारी युक्तता की स्थिति को पुनःस्थापित कर देंगे. 
 7 यद्यपि तुम्हारा प्रारंभ नम्र जान पड़ेगा, 
फिर भी तुम्हारा भविष्य अत्यंत महान होगा. 
 8 “कृपा करो और पूर्व पीढ़ियों से मालूम करो, 
उन विषयों पर विचार करो, 
 9 क्योंकि हम तो कल की पीढ़ी हैं और हमें इसका कोई ज्ञान नहीं है, 
क्योंकि पृथ्वी पर हमारा जीवन छाया-समान होता है. 
 10 क्या वे तुम्हें शिक्षा देते हुए प्रकट न करेंगे, 
तथा अपने मन के विचार व्यक्त न करेंगे? 
 11 क्या दलदल में कभी सरकंडा उग सकता है? 
क्या जल बिन झाड़ियां जीवित रह सकती हैं? 
 12 वह हरा ही होता है तथा इसे काटा नहीं जाता, 
फिर भी यह अन्य पौधों की अपेक्षा पहले ही सूख जाता है. 
 13 उनकी चालचलन भी ऐसी होती है, जो परमेश्वर को भूल जाते हैं; 
श्रद्धाहीन मनुष्यों की आशा नष्ट हो जाती है. 
 14 उसका आत्मविश्वास दुर्बल होता है 
तथा उसका विश्वास मकड़ी के जाल समान पल भर का होता है. 
 15 उसने अपने घर के आश्रय पर भरोसा किया, किंतु वह स्थिर न रह सका है; 
उसने हर संभव प्रयास तो किए, किंतु इसमें टिकने की क्षमता ही न थी. 
 16 वह सूर्य प्रकाश में समृद्ध हो जाता है, 
उसकी जड़ें उद्यान में फैलती जाती हैं. 
 17 उसकी जड़ें पत्थरों को चारों ओर से जकड़ लेती हैं, 
वह पत्थरों से निर्मित भवन को पकड़े रखता है. 
 18 यदि उसे उसके स्थान से उखाड़ दिया जाए, 
तब उससे यह कहा जाएगा: ‘तुम्हें मैंने कभी देखा नहीं!’ 
 19 अय्योब, ध्यान दो! यही है परमेश्वर की नीतियों का आनंद; 
इसी धूल से दूसरे उपजेंगे. 
 20 “मालूम है कि परमेश्वर सत्यनिष्ठ व्यक्ति को उपेक्षित नहीं छोड़ देते, 
और न वह दुष्कर्मियों का समर्थन करते हैं. 
 21 अब भी वह तुम्हारे जीवन को हास्य से पूर्ण कर देंगे, 
तुम उच्च स्वर में हर्षोल्लास करोगे. 
 22 जिन्हें तुमसे घृणा है, लज्जा उनका परिधान होगी 
तथा दुर्वृत्तों का घर अस्तित्व में न रहेगा.”