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 1 “अपने जीवन से मुझे घृणा है; 
मैं खुलकर अपनी शिकायत प्रस्तुत करूंगा. 
मेरे शब्दों का मूल है मेरी आत्मा की कड़वाहट. 
 2 परमेश्वर से मेरा आग्रह है: मुझ पर दोषारोपण न कीजिए, 
मुझ पर यह प्रकट कर दीजिए, कि मेरे साथ अमरता का मूल क्या है. 
 3 क्या आपके लिए यह उपयुक्त है कि आप अत्याचार करें, 
कि आप अपनी ही कृति को त्याग दें, 
तथा दुर्वृत्तों की योजना को समर्थन दें? 
 4 क्या आपके नेत्र मनुष्यों के नेत्र-समान हैं? 
क्या आपका देखना मनुष्यों-समान होता है? 
 5 क्या आपका जीवनकाल मनुष्यों-समान है, 
अथवा आपके जीवन के वर्ष मनुष्यों-समान हैं, 
 6 कि आप मुझमें दोष खोज रहे हैं, 
कि आप मेरे पाप की छानबीन कर रहे हैं? 
 7 आपके ज्ञान के अनुसार सत्य यही है मैं दोषी नहीं हूं, 
फिर भी आपकी ओर से मेरे लिए कोई भी मुक्ति नहीं है. 
 8 “मेरी संपूर्ण संरचना आपकी ही कृति है, 
क्या आप मुझे नष्ट कर देंगे? 
 9 स्मरण कीजिए, मेरी रचना आपने मिट्टी से की है. 
क्या आप फिर मुझे मिट्टी में शामिल कर देंगे? 
 10 आपने क्या मुझे दूध के समान नहीं उंडेला 
तथा दही-समान नहीं जमा दिया था? 
 11 क्या आपने मुझे मांस तथा खाल का आवरण नहीं पहनाया 
तथा मुझे हड्डियों तथा मांसपेशियों से बुना था? 
 12 आपने मुझे जीवन एवं करुणा-प्रेम* 10:12 करुणा-प्रेम मूल में ख़ेसेद इस हिब्री शब्द का अर्थ में अनुग्रह, दया, प्रेम, करुणा ये शामिल हैं का अनुदान दिया 
तथा आपकी कृपा में मेरी आत्मा सुरक्षित रही है. 
 13 “फिर भी ये सत्य आपने अपने हृदय में गोपनीय रख लिए, 
मुझे यह मालूम है कि यह आप में सुरक्षित है: 
 14 यदि मैं कोई पाप कर बैठूं तो आपका ध्यान मेरी ओर जाएगा. 
तब आप मुझे निर्दोष न छोड़ेंगे. 
 15 धिक्कार है मुझ पर—यदि मैं दोषी हूं! 
और यद्यपि मैं बेकसूर हूं, मुझमें सिर ऊंचा करने का साहस नहीं है. 
मैं तो लज्जा से भरा हुआ हूं, 
क्योंकि मुझे मेरी दयनीय दुर्दशा का बोध है. 
 16 यदि मैं अपना सिर ऊंचा कर लूं, तो आप मेरा पीछा ऐसे करेंगे, जैसे सिंह अपने आहार का पीछा करता है; 
एक बार फिर आप मुझ पर अपनी शक्ति का प्रदर्शन करेंगे. 
 17 आप मेरे विरुद्ध नए-नए साक्षी लेकर आते हैं 
तथा मेरे विरुद्ध अपने कोप की वृद्धि करते हैं; 
मुझ पर तो कष्टों पर कष्ट चले आ रहे हैं. 
 18 “तब आपने मुझे गर्भ से बाहर क्यों आने दिया? 
उत्तम तो यही होता कि वहीं मेरी मृत्यु हो जाती कि मुझ पर किसी की दृष्टि न पड़ती. 
 19 मुझे तो ऐसा हो जाना था, 
मानो मैं हुआ ही नहीं; या सीधे गर्भ से कब्र में! 
 20 क्या परमेश्वर मुझे मेरे इन थोड़े से दिनों में शांति से रहने न देंगे? 
आप अपना यह स्थान छोड़ दीजिए, कि मैं कुछ देर के लिए आनंदित रह सकूं. 
 21 इसके पूर्व कि मैं वहां के लिए उड़ जाऊं, जहां से कोई लौटकर नहीं आता, 
उस अंधकार तथा मृत्यु के स्थान को, 
 22 उस घोर अंधकार के स्थान को, 
जहां कुछ गड़बड़ी नहीं है, 
उस स्थान में अंधकार भी प्रकाश समान है.” 
*10:12 10:12 करुणा-प्रेम मूल में ख़ेसेद इस हिब्री शब्द का अर्थ में अनुग्रह, दया, प्रेम, करुणा ये शामिल हैं