स्तोत्र 121
आराधना के लिए यात्रियों का गीत. 
 1 मैं अपनी आंखें पर्वतों की ओर उठाता— 
क्या मेरी सहायता का स्रोत वहां है? 
 2 मेरी सहायता का स्रोत तो याहवेह हैं, 
स्वर्ग और पृथ्वी के कर्ता. 
 3 वह तुम्हारा पैर फिसलने न देंगे; 
वह, जो तुम्हें सुरक्षित रखते हैं, झपकी नहीं लेते. 
 4 निश्चयतः इस्राएल के रक्षक न तो झपकी लेंगे 
और न सो जाएंगे. 
 5 याहवेह तुम्हें सुरक्षित रखते हैं— 
तुम्हारे दायें पक्ष में उपस्थित याहवेह तुम्हारी सुरक्षा की छाया हैं; 
 6 न तो दिन के समय सूर्य से तुम्हारी कोई हानि होगी, 
और न रात्रि में चंद्रमा से. 
 7 सभी प्रकार की बुराई से याहवेह तुम्हारी रक्षा करेंगे, 
वह तुम्हारे जीवन की रक्षा करेंगे; 
 8 तुम्हारे आने जाने में याहवेह तुम्हें सुरक्षित रखेंगे, 
वर्तमान में और सदा-सर्वदा.