स्तोत्र 122
आराधना के लिए यात्रियों का गीत. दावीद की रचना. 
 1 जब यात्रियों ने मेरे सामने यह प्रस्ताव रखा, 
“चलो, याहवेह के आवास को चलें,” मैं अत्यंत उल्लसित हुआ. 
 2 येरूशलेम, हम तुम्हारे द्वार पर 
खड़े हुए हैं. 
 3 येरूशलेम उस नगर के समान निर्मित है, 
जो संगठित रूप में बसा हुआ है. 
 4 यही है वह स्थान, जहां विभिन्न कुल, 
याहवेह के कुल, 
याहवेह के नाम के प्रति आभार प्रदर्शित करने के लिए जाया करते हैं 
जैसा कि उन्हें आदेश दिया गया था. 
 5 यहीं न्याय-सिंहासन स्थापित हैं, 
दावीद के वंश के सिंहासन. 
 6 येरूशलेम की शांति के निमित्त यह प्रार्थना की जाए: 
“समृद्ध हों वे, जिन्हें तुझसे प्रेम है. 
 7 तुम्हारी प्राचीरों की सीमा के भीतर शांति व्याप्त रहे 
तथा तुम्हारे राजमहलों में तुम्हारे लिए सुरक्षा बनी रहें.” 
 8 अपने भाइयों और मित्रों के निमित्त मेरी यही कामना है, 
“तुम्हारे मध्य शांति स्थिर रहे.” 
 9 याहवेह, हमारे परमेश्वर के भवन के निमित्त, 
मैं तुम्हारी समृद्धि की अभिलाषा करता हूं.